Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -23-Feb-2023 मस्तानी शाम

मुक्तक  
तू जब साथ होती है तो हर शाम मस्तानी होती है 
खूबसूरत बहारें भी तेरे हुस्न की दीवानी होती हैं 
नजारे बेसुध हैं इन छलकती आंखों के जाम पीकर 
महकते बदन की खुशबू से ये रुत सुहानी होती है  

सीने पे हाथ रख दे तो कुछ चैन ओ करार मिल जाये 
गर तेरा इशारा हो तो तेरे आंचल का दुलार मिल जाये 
तू जिसे प्यार से देख ले तो वह बुत भी जी उठे जाना 
ऐसे ना इतरा के चल कि कयामत भी शर्मसार हो जाये 

जन्नत का रास्ता तेरे घर के सामने से जाता है 
तुझे देखने सूरज भी तेरी खिड़की पे आता है 
जबसे तुझे देखा है चांद कहीं पर बेसुध पड़ा है 
लुटने के डर से चैन भी तेरे नजदीक नहीं आता है 

श्री हरि 
23.2.23 

   20
4 Comments

Wahhh बहुत ही खूबसूरत रचना

Reply

Alka jain

01-Mar-2023 07:11 PM

Nice 👍🏼

Reply

बहुत खूब

Reply